उत्तर प्रदेश भूमि विकास एवं जल संसाधन विकास प्रशिक्षण संस्थान

बेलीकला, लखनऊ
(Training Institute, Belikalan, Lucknow)
  • भूमि विकास एवं जल संस्थान विभाग, ऊO प्रO शासन द्वारा संचालित केन्द्र, राज्य वित्त पोषित योजनाओं के दक्षतापूर्वक संचालन हेतु तकनीकी जानाकारी उपलब्ध कराना।
  • प्रदेश में केन्द्र पुरोनिधानित जल संग्रहण बिकास परियोजनाओं के लिये विभिन्न स्तरों के प्रशिषण, जल समेत उपचार विधियों, भूमि के विभिन्न उपयोगिताओं, कम् लागत के उपचार, संरचनाओं, वान्सपतिक अवरोधों अदि की विस्तृत जानकारी संबंधित विषय विशेष के माध्यम से देना।
  • कॄषकों, लाभार्थी समूहों की योजना में भागीदारी, उत्पेरणा, सामूहिक भावना तथा विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों के प्रबन्धन, व्यवस्था, प्रशासकीय एवं लेखा संबंधी प्रकिया, आभियांत्रिक कार्यो को कुशलता पूर्वक सम्पादन एवं कार्यो के मापन, अभिलेखन की प्रकिया निरीक्षण, सम्प्रेक्षण के संबंध मे प्रशिक्षित करना।
  • विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे कार्यो की गुणबत्ता में सुधार करने एवं उसे जन् आकांक्षाओं के अनुरूप किये जाने हेतु प्रशिक्षित करना।
  • विभागीय योजनाओं, कार्यक्रमों को भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार संचालित किये जाने हेतु नियमों, प्रकियाओं की जानकारी सर्वसुलभ करना।
  • विभिन्न प्रकार के अभियांत्रिक, वानस्पतिक प्रतिदर्शो के माध्यम से प्रशिक्षण देकर कार्यक्रम के कार्यान्वयन से जुडे सभी वर्गो को प्रशिक्षित करना।
  • विभागीय क्रियाकलापों, योजनाओं, कार्यक्रमों के संबंध मे साहित्य, पठन-पाठान, दॄश्य-क्षव्य सामग्री तैयार कर् उसे प्रचारित प्रसारित करना।
  • भूमि एवं जल प्रबन्ध के बारे में एवं आधुनिक एवं परम्परागत ग्यान, कौशल की समुचित जानकरी प्रदान करना, सिंचाई दक्षता एवं कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता मे वृद्धि के लिये योजना कार्योन्वय से जुडे सभी संवर्गो को विभिन्न विषियों मे प्रशिक्षित करना।
  • जल प्रबन्ध एवं भूमि विकास से जुडी समस्याओं के समाधन हेतु विशेष एवं परमर्शी सेवायें उपलब्ध करना।
  • ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों के प्रबन्धन, प्रशासकीय एवं लेखापद्धति, प्रकियाओं, नियमों की सरल सुबोध, ग्राहय भाषा शैली मे कृषकों को कार्यक्रमो के समग्र जानकारी देकर दक्ष प्रचालन कि सुव्यवस्था करना।
  • भूमि विकास एवं जल प्रबन्ध की योजनाओं को सामयिक पारदर्शी बनाये रखने के निरन्तर परामर्श की प्रकिया को अनवरत रखते हुये ग्यान कौशल मे वृद्धि करना।
  • लाभग्राहियों की सहभागिता, अनुक्षवण् एवं मूल्यांकन, समीक्षा, जन् जागरण् एवं वातावरण् निर्माण।
  • भूमि एवं जल उपचार प्रौधोगिकियों और वैकल्पिक भूमि उपयोगों के प्रबन्धन।
  • कम लागत के अभियांत्रिक, वानस्पतिक उपचारों, कृषकों के अनुसंधान, उत्पादन प्रौधोगिकियों के प्रचार, प्रसार उनके प्रबन्धन।
  • सहभागिता, ग्रामीण मूल्यांकन पद्धति और सामुदायिक संगठन, तकनीकी विधायें, समूह व्यहार एवं सेवायें।
  • परियोजना प्रबन्धन, प्रकियायें, तकनीकी कार्य, विश्लेषण, समन्वय, समय प्रबन्धन आदि।
  • ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रशासन, लेखा कार्यविधियाँ, इंजीनीयरिंग निर्माण कार्य, कार्य विधियाँ, जांच एवं लेखा परीक्षा रिपोर्ट आदि का ग्यान।
  • भूमि, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, विकास, सिंचाई, वनीकरण, शुष्क कृषि तथा आय के अतिरिक्त स्त्रोत के संबंध में विभिन्न रोजगार परक कार्यक्रमों का व्याव्हारिक प्रशिक्षण।
  • संस्थान परिसर में प्रशिक्षणार्थियों के ठहरने के लिये सुसज्जित एवं प्रसाधन युक्त आवासीय सुविधा उपलब्ध है।
  • संस्थान में प्रशिक्षण काल में प्रशिक्षुओं के लिये चाय, जलपान, भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
  • प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण अवधि में क्षेत्र भ्रमण कराया जाता है। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण अवधि में मौनपालान, पषुपालन, मत्स्यपालन, कुक्कुटपालन, फल, फूल, चारा, भेषज, औषधियाँ, ईधन, तालाब, फसल प्रदर्शन, प्रक्षेत्र विकास कार्य, वानस्पतिक एवं अभियांत्रिक संरचनायें, सिंचाई जल के सदुपयोग की विभिन्न विधियों का प्रदर्शन कराया जाता है।
  • प्रशिक्षण् संस्थान में दॄष्य-क्षॄव्य संयत्र, टीOवीO, वीOसीOआरO, कमप्यूटर द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को विभागीय कार्यक्रमों की समग्र जानकारी कराई जाती है।
  • संस्थान में भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ दक्ष अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया जाता है।
  • प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान के पुस्तकालय द्वारा गतिविधि क प्रशिक्षणार्थी लाभ लेते हैं।
  • प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षुओं द्वारा क्ष्रमदान किया जाता है जिससे सामूहिक उत्तरदायित्व का बोध होता हैं।
  • समूह चर्चा के माध्यम से उनकी अभिव्यक्ति सामर्थ्य का परीक्षण तथा उनकों विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है तथा उनसे प्राप्त फीड बैक शासन को कार्यक्रम के कार्यान्वयन एवं नीतियों के निर्धारण के लिये उपलब्ध कराया जाता है।
  • प्रशिक्षुओं का परिक्षण के पूर्व एवं पश्चात मूल्यांकन कर उनके ग्यान कौशल का परीक्षण, मूल्यांकन किया जाता है।
वित्तीय वर्ष 2004-05 में प्रशिक्षण संस्थान में माह जनवरी, 05 से 10 प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया गया था जिसके द्वारा प्रबन्धकीय, प्रशासकीय एवं लाभग्राही स्तर के 405 प्रशिक्षुयों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
वित्तीय वर्ष 2005-06 के द्वितीय त्रैमास तक 22 सत्रों के सफल संचालन किया गया जिसके द्वारा 928 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। वर्ष 2006-07 मे संस्थान ने 43 सत्र चलाकर 1983 प्रशिक्षुयों को प्रशिक्षत किया गया है।

बेलीकला लखनऊ प्रशिक्षण संस्थान में वर्षवार विभागीय अधिकारीयों, कर्मचारियों, जल प्रबंध समिति, जल समेट क्षेत्रों के अध्यक्षों सचिवों एवं लाभगाही कृषकों का प्रशिक्षण का विवरण।

क्रम संख्या

वर्ष

प्रशिक्षण सत्र की संख्या

प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षणार्थियों की संख्या

1.

2004-05

10

405

2.

2005-06

23

928

3.

2006-07

45

1983