उत्तर प्रदेश भूमि विकास एवं जल संसाधन विकास प्रशिक्षण संस्थान
बेलीकला, लखनऊ
(Training Institute, Belikalan, Lucknow)
- भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग, उOप्रOशासन के नियंत्रणाधीन प्रदेश में निम्नलिखित कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
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- समादेश क्षेत्र विकास एवं जल संसाधन कार्यक्रम
- सूखा बाहुल क्षेत्र कार्यक्रम
- समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम
- सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
- भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग प्रदेश में भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार केन्द्र पुरोनिधानित समादेश क्षेत्र विकास एवं जल कार्यक्रम का संचालन करा रहा है, इस् कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत सरकार 50 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराती है तथा 40 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार वहन करती है तथा 10 प्रतिशत कृषक अंश के रूप में लिये जाने की व्यवस्था अप्रैल, 2004 से की गयी है।
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- समादेश क्षेत्रों सिंचित भूमि से कृषि का अत्याधिक उत्पादन करनें के एवं सृजित सिंचन कुशल उपयोग को बढाने के लिये चलाया जा रहा है। इस् कार्यक्रम में फसल पद्धति, उन्नत खेती की पद्धतियों को लागु करने तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिये तकनीकी जानकारी का प्रचार-प्रचार अनुकूली परीक्षण और प्रदर्शन, किसानो के प्रशिक्षण को बढावा दिये जाने की व्यवस्था की गयी है।
- समादेश क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषकों के जल उपभोक्ता संघ बनाने एवं उनको सक्रिय रखने का प्राविधान किया गया है जो प्रणाली के प्रचालान, रखरखाव, सिंचाई प्रभार एकत्र करने तथा समान जल वितरण का कार्य करेगी।
- सहभागी सिंचाई प्रबन्धन के माध्यम से सृजित सिंचाई क्षमता का कुशल उपयोग सुनिश्चित किया जाना निहित है।
- भारत सरकार के ग्रमीण विकास मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार प्रदेश मे जल संग्रहण विकास की अवधारणा पर प्रदेश मे सूखा बाहुल क्षेत्र कार्यक्रम एवं समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम क क्रियान्वयन किया जा रहा है। सूखा बाहुल क्षेत्र कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत सरकार 75 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराती है तथा 25 प्रतिशत राज्य सरकार देती है।
- समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम भारत सरकार से 91.67 प्रतिशत वित्त पोषित है तथा 8.33 प्रतिशत अंश राज्य सरकार वहन करती है।
- जल संग्रहण परियोजनाओं के कार्योन्व्यन में लोगो की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्योन्व्यन के सभी स्तरों पर विस्तृत संस्थागत संरचना, विशेष रूप से लोगो के संगठनों, जिन्हे गाँव स्तर पर जल संग्रहण संघ, जल संग्रहण समिति, स्व सहायता समूह, प्रयोक्ता समूह कहा जाता है के लिये व्यवस्था की गयी है।
- संस्थागत संरचनाओं मे पंचयती राज संस्थाओं की प्रभावी भूमिका के दॄष्टिगत हरियाली गाइड लाइन प्र्ख्यापित की गयी है। कार्यक्र्म के कार्यान्वयन, प्रबन्धन हेतु सामुदायिक संगठन एवं प्रशिक्षण हेतु ग्रैम स्तर, ब्लाक स्तर एवं जिला स्तरीय सभी संवर्ग के वर्गो कि प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था गाइड लाइन मे की गयी है तथा इस निमित्त पांच वर्षीय परियोजना अवधि मे प्रथम वर्ष मे 3 प्रतिशत दूसरे वर्ष मे 1 प्रतिशत एवं तीसरे वर्ष 1 प्रतिशत अर्थात 5 प्रतिशत धनराशि व्यय करने का प्राविधान है।
- जल संग्रहण विकास परियोजना की लागत 6000 प्रति हेO है तथा 500 हेO क्षेत्र के एक जल संग्रहण विकास परियोजना तैयार की जाती है। जल संग्रहण विकास परियोजनाओं में संस्थागत व्यवस्थाओं के अन्तर्गत जल संग्रहण संघ, संग्रहण समिति, स्व सहायता समूह, प्रयोक्ता समूह आदि तैयार किये जाते है।